
कोरोना वायरस : बदली-बदली सी है जिन्दगी
तुझसे नाराज नहीं जिंदगी.. हैरान हूं मैं, हैरान हूं मैं……गुलजार साहब के लिए ये शब्द आज के समय में प्रत्येक इंसान के भाव हो सकते हैं। क्योंकि हंसती मुस्कुराती अपनी रफ़्तार से चलती आ रही ये जिंदगी आजकल बहुत बदली-बदली लग रही है। ठहरी हुई, ऊबाऊ है, घरों में कैद है- लेकिन सच ये है कि इस कैद के कारण ही जिन्दगी बची हुई है। आज की जिन्दगी से जल्दबाजी शब्द कुछ छुप सा गया है। इसी कारण साफ एवं स्वच्छ आकाश देखने को मिल रहा है, साफ-सुथरी प्रकृति से रू-ब-रू हो रहे हैं। इस कोराना ने जिंदगी के मायने बदल दिये हैं। सालों से चली आ रहीं परम्परायें भी परिवर्तित हो गई हैं। जीने का नजरिया भी बदल गया है। कुछ ऐसे काम हो रहे हैं जिन्हें हम कभी नहीं सोच सकते थे कि ये इस तरीके से भी हो सकते हैं।
हाथ मिलाना छोड़ दिया
अच्छे सबंधों में अक्सर गले लगाया जाता था और सामान्य से सामान्य संबंधों में हाथ मिलाना आम बात हुआ करती थी। कोराना वायरस के भय से मार्च के महीने से लोगों ने एक-दूसरे से गले मिलना तो दूर हाथ तक मिलाना बंद कर दिया। लोग अब एक-दूसरे से मिलने के दौरान नमस्ते या हाय-हेलो करते हैं। इसी के साथ नमस्ते, प्रणाम, सलाम, आदाब का चलन लौट आया जो भारतीय संस्कृति और उसकी जीवन शैली का परिचायक है।
वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा
वर्क फ्रॉम होम ये शब्दावली नियमित काम का हिस्सा कभी नहीं रही लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में वर्क फ्रॉम होम में तेजी से इजाफा देखने को मिला है। वर्क फ्रॉम होम जीवन शैली का अहम हिस्सा बन गया है। इस शैली के फाायदे भी हैं और नुकसान भी। इससे कोरोना वायरस फैलने का खतरा तो टलता ही है, साथ ही आवाजाही का समय भी बच रहा है। इसके कुछ नुकसान हैं, मसलन बोरियत और एक ही जगह बैठे-बैठे स्वास्थ्य प्रभावित होना। यहां तक कि मोटापे की समस्या देखने को मिल रही है।
साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान चलवाया लोगों से उसे अनुकरण करने की सलाह भी दी। लेकिन सभी लोगों ने ध्यान देना शायद मुनासिब नहीं समझा। लेकिन जिंदगी जाने के डर ने लोगों का स्वच्छता का पाठ भी पढ़ा दिया। अब साफ-सफाई पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। ज्यादातर लोग अब कहीं भी बैठने से पहले पूर्व की तुलना में अधिक सचेत रहने लगे हैं। सैनिटाइजर का इस्तेमाल जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। घर-दफ्तरों में भी पहले की तुलना में साफ-सफाई का महत्व बढ़ा है।
मास्क बना लाइफस्टाइल का हिस्सा
लोगों की जिंदगी में और उनके लाइफस्टाइल में मास्क जरूरी हिस्सा बन गया है। अब इसने एक फैशन का रूप भी अख्तियार कर लिया है। घर, दफ्तर या सफर के दौरान लोग हर हाल में मास्क लगाने लगे हैं।
शारीरिक दूरी का नियम
कहा जाता है कि रिश्तों की मजबूती के लिए नजदीकियां जरूरी हैं। लेकिन कोराना वायरस ने समझाया कि सोशल डिस्टेंसिंग है तो जिंदगी है और जिंदगी है तो रिश्तें हैं। आज दूरी में अपनापन पैदा हो रहा है। शारीरिक दूरी का नियम पालन करने वालों की तादात तेजी से बढ़ी है। लोग सार्वजनिक स्थल पर शारीरिक दूरी के नियमों का पालन सहज रूप में करते नजर आ जाएंगे। मॉल, रेलवे स्टेशनों और बसों तक में शारीरिक दूरी का नियम का लोग पालन संजीदगी से करते हैं।
सादगी के साथ हो रहीं शादियां
कोरोना काल में सबसे अधिक स्वरूप वैवाहिक कार्यक्रमों का बदला है। न बैंड न बारात न दावत न स्वागत। फिर भी इस दौरान खूब शादियां हुईं। कोराना काल से पूर्व शादियों में दिखावा बहुत होता था। वर्तमान में सादगीपूर्ण और कम भीड़भाड़ वाली शादियां हो रही हैं। और इस बदले स्वरूप की सबसे खूबसूरत बात ये है कि किसी बेटी का बाप अब बेटी की शादी के लिए किसी के कर्जदार नहीं हो रहे।
सड़क पर थूकना मना
शोधकर्ताओं के मुताबिक, धूमपान करने वाले लोगों को भी कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा है। ऐसे में लोगों ने धूमपान छोड़ना शुरू कर दिया है। इसी के साथ लोगों पर स्थानीय प्रशासन का भी दबाव है। ज्यादातर राज्यों में सड़क पर थूकने पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। लोग नशे से भी दूर हो रहे हैं।
जिन्दगी को भार नहीं, आभार मान कर जीने की जरूरत है। ऐसी बातों के बारे में सोचें, जो खुशी देती हैं। अच्छी तस्वीरें देखना, अच्छी बातें याद करना, अपने बच्चों की रिकॉर्डिंग देखना, संगीत सुनना, कुकिंग करना- ऐसा करना तुरंत बोरियत दूर करते हुए मूड को तरोताजा कर देगा।
आज की जिन्दगी में भागमभाग नहीं, ठहराव है। आज जीवन की जो गति है, उसे देखकर भविष्य में जीवन की कल्पना करें तो दहशत होती है, डर लगता है। लेकिन जीवन से, अस्तित्व से जुड़ना है तो तनिक रुक कर सोचना होगा, अपनी रफ्तार कम करनी होगी। तेज रफ्तार जिन्दगी के बीच इस सच को जाना है कि हमेशा तेज रफ्तार ही नहीं, धीमी रफ्तार से चलने से भी जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। नये बदलाव के साथ जिंदगी का स्वागत करें। अगर जानते हैं कि अभी जिन्दगी सामान्य होने में समय ज्यादा लगेगा तो इस समय को सकारात्मक चिन्तन में लगाये, भविष्य की योजनाओं पर चिन्तन करें। नई उर्जा और दिशा के साथ जिंदगी का मजा लें।
मनीषा उपाध्याय
वरिष्ठ पत्रकार एवं
विभागाध्यक्ष
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
मंगलायतन विश्वविद्यालय